काश ! थोड़ा और वक़्त होता
काश थोड़ा और वक़्त होता तेरे पास !
बातें तो दूर की बात है ,
अभी तो जी भर के देखा भी नही |
साँसों को रोक रखा था मैंने,
कहीं वो लम्हा उड़ा ना ले जाए!
चंद लम्हों मे लोग ज़िंदगी जी लेते हैं,
मैंने तो अभी साँस ली भी नहीं|
तेरी नज़र के उठने का इंतेज़ार करता रहा,
कहीं मेरी पलकें ना थक जायें,
लोग तो आँखों मे डूब जाते हैं,
मैंने तो निगाहें मिलाई भी नहीं |
हाथों से आँचल छूटने का इंतेज़ार करता रहा,
काश हवा उड़ा के मेरी ओर ले आए,
लोग तो हाथ थाम कर ज़िंदगी जी लेते हैं,
मैंने तो तेरा दुपट्टा तक छुआ नहीं |
काश थोड़ा और वक़्त होता तेरे पास !
जाते हुए पलट कर तो देखा होता
मैं खड़ा था वहीं, कहीं गया नही ||