Dumb-Heart's Voice

kuch Baaten jo Dil me ankahi reh gyi

Thodi Sasti si Hasi- Bachpan

बचपन की हसीं थी

थोड़ी सी सस्ती

तब काग़ज़ की कश्ती भी

होती थी बड़ी महेंगी

 

एक छोटी सी गुड़िया

चूरन की पूड़ीया

चार आने की toffee

भी मुस्कान दे जाती

ओर रोती हुई आँखों में

चमक सी आ जाती

 

वो बचपन की हँसी

कुछ इतनी थी सस्ती

 

कुछ टीचर ने पूछा तो

दोस्तों ने बता दिया

जो सज़ा मिली तो ,classroom के बाहर

सपनो को सज़ा लिया

 

पड़ोसियों ने शिकायत की

तो मा ने साथ दिया

जो मा ने डांटा तो

भाई बहनो ने हँसा दिया

 

बचपन की हँसी

कुछ इतनी सी सस्ती

 

पर school में

हमारे भी महेंगे जहाज़ उड़ते थे

पूरे कमरे की सैर करके ही

ज़मीं पर land करते थे

 

हमारी काग़ज़ की नाव

के भी थे बड़े भाव

बारिश के मौसम में

ये भी बड़ी हस्ती थी

 

बचपन की हसीं थी

थोड़ी सी सस्ती

तब काग़ज़ की कश्ती भी

होती थी बड़ी महेंगी  |

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3 thoughts on “Thodi Sasti si Hasi- Bachpan

  1. Nice.. Very best

    Liked by 1 person

  2. Thanks Dear ,for liking my poems. 🙂
    You can follow my blog.

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